हम दोनों..

न जाने कब और किस जनम में सीख आये थे,
साथ साथ या अलग अलग.., 
पता नहीं

मगर बड़ी अजीब है ये भाषा...

जिसे 'वे' बोलतीं हैं और 'ये' सुन लेता है
बिना किसी आवाज़ के... 
बिना किसी शब्द के... 
बिना किसी इशारे के...

बस संवाद होता है 
और सब कुछ समझ जाते हैं
दोनों...

दोनों - 

तुम्हारी आँखें...मेरा दिल ।

Comments

Popular posts from this blog

तुम मुस्कुराती हो तो..

ख़ामोशी भी बोलती है...

सुबह आती ही है...